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समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
Nidhi Sharma
बदलते हुए व्यस्त जीवन शैली ने किताबों को दरकिनार सा कर दिया है!
जीवन का लक्ष्य बताने वाली, मंजिल तक जाने का जरिया है ये किताबें. अब्दुल कलाम को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बनाने वाली किताबें या भीमराव को भारतरत्न दिलाने वाली किताबें, एक आम आदमी से करोड़ो का आदर्श बनने का साधन है ये किताबें.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
भारत में मुस्लिम पीएम की बात करने वाले हमेशा 'कलाम' को क्यों भूल जाते हैं?
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) भारत के उस असली सेकुलरिज्म और कौमी एकता के परिचायक थे. जिसे आज मुस्लिमों (Muslim) में असुरक्षा की भावना भड़काकर खत्म करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, भारत में मुस्लिम पीएम (Muslim PM) की बात करने वाले कलाम का जिक्र नहीं करना चाहते हैं.
सियासत
|
एक अलग नज़रिया
| 7-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
Draupadi Murmu: बीजेपी को राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में दूसरा 'कलाम' मिल गया है
अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व ऐसा रहा है कि वे सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नजर आते हैं. राज्यपाल रहते हुए द्रौपदी मुर्मू ने सभी धर्मों के लोगों को राजभवन में एंट्री दी थी. उनसे मिलने वालों में अगर हिंदू धर्म के लोग शामिल रहे, तो उन्होंने मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के लोगों को भी राजभवन में उतनी ही सम्मान दिया.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
मशाहिद अब्बास
डॉ. कलाम के जीवन को सबक बनाकर स्कूल का हिस्सा बनाया जाए
पूर्व राष्ट्रपति डा0 अब्दुल कलाम के जीवन का हर लम्हा लोगों के लिए एक सीख है. उनके किस्से महज किस्से तक सीमित न रह जाएं बल्कि उऩ्हें देख उनके जैसा बनने की ललक होनी चाहिए ताकि भविष्य में फिर किसी भारतीय के किस्से इतिहास के पन्नों में अमर हो जाएं. उनकी कामयाब ज़िंदगी से सीख लेकर कामयाबी हासिल करने की ज़रूरत है.
ह्यूमर
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
APJ Abdul Kalam, एक नाम जिसने कट्टरपंथियों को मुश्किल में डाल दिया है
एपीजे अब्दुल कलाम, एक नाम जिसने मुस्लिम कट्टरपंथियों को मुसीबत में डाल दिया है. देश चाहता है हर मुसलमान (Indian Muslim) कलाम साहब जैसा हो मगर समुदाय के कुछ लोग मुसलमानों को कुंए का मेंढक बनाकर सरकार को कोसने के काम में लगाए रखना चाहते हैं.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
क्यों अटल बिहारी वाजपेयी का पुनर्जन्म जरूरी है
अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद अपनी शख्सियत ऐसी गढ़ी जिसकी गरिमा कभी प्रधानमंत्री पद की मोहताज नहीं रही. वाजपेयी ने ये तब भी महसूस कराया जब वो पहली बार प्रधानमंत्री बने और बाद में भी - 2004 में एनडीए की चुनावी शिकस्त को भी वाजपेयी ने 'भारत की जीत' बताया था.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
ऑनलाइन एडिक्ट
वाजपेई का 56 इंच का सीना दिखाती है पोखरण की कहानी
अमेरिकी सैटेलाइट से छुपकर, विपक्ष को बिना बताए और पूरी दुनिया की नाक के नीचे अटल बिहारी वाजपेई ने परमाणु परीक्षण कर लिया था. ये अटल जी का साहस ही था, जिसके चलते उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के दो दिन के भीतर यह फैसला लिया.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
विवेक शुक्ला
@vivek.shukla.1610
यहां तो कलाम साहब भी नहीं हो सकते थे दफन
पंजाबी मुसलमान बिरादरी की एक कब्रिस्तान है. गैर-पंजाबी मुसलमानों को यहां नहीं दफनाया जा सकता. यहां तक की पूर्व राष्ट्रपति कलाम को भी शायद दो गज जमीन के लिए...
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
विनीत कुमार
@vineet.dubey.98
औरंगजेब रोड हो या कलाम रोड....दौड़ेंगी तो गाड़ियां ही
शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है. लेकिन अब तो नाम ही ब्रांड है. कौन सा नाम मार्केट में है, यह मायने रखता है. आप उस नाम के साथ जुड़िए...लोग आपके साथ भी जुड़ते चले जाएंगे.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
Nidhi Sharma
बदलते हुए व्यस्त जीवन शैली ने किताबों को दरकिनार सा कर दिया है!
जीवन का लक्ष्य बताने वाली, मंजिल तक जाने का जरिया है ये किताबें. अब्दुल कलाम को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बनाने वाली किताबें या भीमराव को भारतरत्न दिलाने वाली किताबें, एक आम आदमी से करोड़ो का आदर्श बनने का साधन है ये किताबें.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
भारत में मुस्लिम पीएम की बात करने वाले हमेशा 'कलाम' को क्यों भूल जाते हैं?
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) भारत के उस असली सेकुलरिज्म और कौमी एकता के परिचायक थे. जिसे आज मुस्लिमों (Muslim) में असुरक्षा की भावना भड़काकर खत्म करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, भारत में मुस्लिम पीएम (Muslim PM) की बात करने वाले कलाम का जिक्र नहीं करना चाहते हैं.
सियासत
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एक अलग नज़रिया
| 7-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
Draupadi Murmu: बीजेपी को राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में दूसरा 'कलाम' मिल गया है
अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व ऐसा रहा है कि वे सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नजर आते हैं. राज्यपाल रहते हुए द्रौपदी मुर्मू ने सभी धर्मों के लोगों को राजभवन में एंट्री दी थी. उनसे मिलने वालों में अगर हिंदू धर्म के लोग शामिल रहे, तो उन्होंने मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के लोगों को भी राजभवन में उतनी ही सम्मान दिया.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
मशाहिद अब्बास
डॉ. कलाम के जीवन को सबक बनाकर स्कूल का हिस्सा बनाया जाए
पूर्व राष्ट्रपति डा0 अब्दुल कलाम के जीवन का हर लम्हा लोगों के लिए एक सीख है. उनके किस्से महज किस्से तक सीमित न रह जाएं बल्कि उऩ्हें देख उनके जैसा बनने की ललक होनी चाहिए ताकि भविष्य में फिर किसी भारतीय के किस्से इतिहास के पन्नों में अमर हो जाएं. उनकी कामयाब ज़िंदगी से सीख लेकर कामयाबी हासिल करने की ज़रूरत है.
ह्यूमर
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
APJ Abdul Kalam, एक नाम जिसने कट्टरपंथियों को मुश्किल में डाल दिया है
एपीजे अब्दुल कलाम, एक नाम जिसने मुस्लिम कट्टरपंथियों को मुसीबत में डाल दिया है. देश चाहता है हर मुसलमान (Indian Muslim) कलाम साहब जैसा हो मगर समुदाय के कुछ लोग मुसलमानों को कुंए का मेंढक बनाकर सरकार को कोसने के काम में लगाए रखना चाहते हैं.
सियासत
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मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
क्यों अटल बिहारी वाजपेयी का पुनर्जन्म जरूरी है
अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद अपनी शख्सियत ऐसी गढ़ी जिसकी गरिमा कभी प्रधानमंत्री पद की मोहताज नहीं रही. वाजपेयी ने ये तब भी महसूस कराया जब वो पहली बार प्रधानमंत्री बने और बाद में भी - 2004 में एनडीए की चुनावी शिकस्त को भी वाजपेयी ने 'भारत की जीत' बताया था.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
ऑनलाइन एडिक्ट
वाजपेई का 56 इंच का सीना दिखाती है पोखरण की कहानी
अमेरिकी सैटेलाइट से छुपकर, विपक्ष को बिना बताए और पूरी दुनिया की नाक के नीचे अटल बिहारी वाजपेई ने परमाणु परीक्षण कर लिया था. ये अटल जी का साहस ही था, जिसके चलते उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के दो दिन के भीतर यह फैसला लिया.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
विवेक शुक्ला
@vivek.shukla.1610
यहां तो कलाम साहब भी नहीं हो सकते थे दफन
पंजाबी मुसलमान बिरादरी की एक कब्रिस्तान है. गैर-पंजाबी मुसलमानों को यहां नहीं दफनाया जा सकता. यहां तक की पूर्व राष्ट्रपति कलाम को भी शायद दो गज जमीन के लिए...
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
विनीत कुमार
@vineet.dubey.98
औरंगजेब रोड हो या कलाम रोड....दौड़ेंगी तो गाड़ियां ही
शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है. लेकिन अब तो नाम ही ब्रांड है. कौन सा नाम मार्केट में है, यह मायने रखता है. आप उस नाम के साथ जुड़िए...लोग आपके साथ भी जुड़ते चले जाएंगे.